हुआ
ये था
कि
वो वहाँ
सोफ़े
के कोने पर आकर बैठ गई थी।
दोनों
एक - दूसरे से बातें करते रहे।
उसके
बाद, वो चली गई ... !
लेकिन,
उस
दिन की वो छोटी सी याद
किसी
लंबे चलचित्र की मानिंद
उस
प्रेमी के ज़ेहन में पैठ गयी थी।
ऐसे
ही दिन थे वे
दीवाली
से ठीक पहले के कुछ दिन !
एक
सुबह अचानक, डोर-बेल बजी।
उसने
दरवाज़ा खोला
तो 'वो' खड़ी
थी।
"चलो
जल्दी से तुम्हारा नया सोफ़ा दिखाओ।"
वो
चहकते हुए बोली।
और
सोफ़े पर बैठते ही
खिलखिला
कर हँस पड़ी।
"तुमने
अपनी हाईट जितना ऊँचा बनवा लिया
देखो
मेरे तो पैर ज़मीन से ऊपर उठ गए
कितने
इंच का है...
हम्म
?"
कहते-कहते
उसने, उसकी आँखों में आंखें डाल दीं
फिर
अचानक
अपने
सीधे हाथ की उंगलियाँ
लड़के
के हाथ में पिरो दीं।
वो
प्रेमी, बावरा सा
वहीं
नीचे ज़मीन पर बैठ गया था...
वो
जो सुंदर सा कत्थई, पीला, भूरा पैरदान दिख रहा है न
वहीं, उसके पास !
लड़की
का दाहिना हाथ
प्रेमी
का बायां हाथ !
धड़कती
साँसें, रुका हुआ संसार।
तभी
जाने कहाँ से
शायद
सामने वाली खिड़की के उस पार से
सूरज
की रोशनी का एक गोला उभर आया।
नाज़ुक
उँगलियों पर मचलता रहा कुछ देर
फिर
इधर - उधर हो गया।
चारों
ओर मौन का स्पंदन था
कि
तभी,
सन्नाटे
को भेदती फ़ोन की घंटी बजी
और
लड़की ने कहा
"जाना
होगा अब मुझे।"
प्रति-उत्तर का इंतज़ार किये बिना
वो
उठ खड़ी हुई
और
तेज़ी से बाहर निकल गई।
वो
वहीं बैठा रहा...
अपनी
उँगलियों पर छपे अदृश्य स्पर्श के निशान ढूँढता !
किसी
ने कुछ नहीं देखा
सिवाय
एक चिड़िया और एक चीड़े के
जो
वहीं खिड़की के पास फुदकते रहते थे।
वक़्त
आगे बढ़ चला।
दुनिया
के लिए जाने कितनी बातें आई - गई हो गईं।
लेकिन
'वो' ... फिर कभी नहीं दिखी।
और
वो बावरा...
अक्सर
सुबह के समय
वहीं
नीचे बैठकर
धूप
के उसी गोले की सुलसुलाहट
महसूस
किया करता....
अपनी
बायीं हथेली पर !
आस्था
जुड़ गई थी,
धूप
से प्रीत की।
एक
दिन,
फुदकते
हुए चीड़े को रोककर, चिड़िया ने पूछा
"क्यों
जी,
वो
लड़की अब दिखती नहीं
सब
कुशल तो होगा ना ?"
चीड़ा
चहकता हुआ बोला
"पगली,
मुझे
तो रोज़ यहीं दिखती है वो
जब
उसका प्रेमी
हर
सुबह यहाँ आकर
धूप
के उस गोले में, प्रीत ढूँढा करता है।"
चिड़िया
कुछ बोलने को हुई
मगर
चुप रह गई।
सुनो
प्यारिया ...
इतने
ख़त लिख डाले तुमको
मगर
'ढाई आखर' फिर
भी नहीं समेट पाया।
शायद,
ऐसा
ही चाहता हूँ मैं
क्योंकि....
जिस
दिन अधूरेपन का ये भाव
मेरे
मन से मिट जाएगा
उस
दिन...
ये
जीवन भी पूरा हो जाएगा।
तुम्हारी
पूर्णता को जीता,
मेरा
अधूरापन !
तुम्हारा
देव
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