Thursday 10 July 2014

सपनों की कोई एज-लिमिट नहीं होती... प्रेमी कभी ओवर-एज नहीं हुआ करते !!!




तुम्हें जागती आँखों के ख़्वाब अच्छे लगते हैं न  ?
अब मुझे भी लगने लगे हैं ...
ऐसा नहीं कि पहले देखता नहीं था , देखता पहले भी था।
... बस झिझक जाता था !

एक ख़ास किस्म की झिझक !!
जो मुझ जैसे लोगों में बड़ी आम होती है ।
हर बार संकोच की अदृश्य दीवार मुझे घेर लिया करती थी ।
लगता था कि ये एक दुर्गुण है ।
कुछ-कुछ शेखचिल्ली के सपनों जैसा ।
और मैं अपने इस अविश्वास पर उतना ही विश्वास करता था,
जितना कि सूरज और चंदा पर !!!

“ तुम डे ड्रीमिंग करते हो ?
याद है तुमने पूछा था !
सच कहूँ तो मैं सकपका गया था ।
लगा था कि नजूमी हो कोई या जादूगरनी...
जो पहली ही मुलाक़ात में नब्ज़ पकड़ ली !!!

वैसे अजीब सा सुख मिलता था मुझे जागती आँखों से कोई ख़्वाब बुनने में ।
अक्सर बिल-काउंटर की लंबी कतारों में, सफ़र के दौरान या अजनबी जिस्मों के झुंड में घिरा हुआ ... मैं आत्म-सम्मोहित सा सपनों की दुनिया में खो जाया करता था ।
लेकिन मैंने कभी इस सब पर विश्वास नहीं किया ।
हमेशा इसे हेय दृष्टि से देखता रहा ।

यक़ीन मानो मैं आज भी इसे मेरे जीवन का सबसे नाकारा पहलू मानता ...
यदि मुझे तुम्हारा प्यार न मिला होता !!
“ लेखक कोई मामूली इंसान नहीं , वो तो रचयिता होता है । “
... यही कहा था ना तुमने .....

और फिर जब मैंने तुम्हारी आँखों में देखा तो लगा, जैसे मैं ब्रह्मांड की सैर पर निकला हूँ और सितारे मेरा पथ-प्रदर्शन कर रहे हैं ।
उसके बाद जीवन में वैसा ही होता गया जैसा कि मैंने चाहा और सोचा ।

एक बात बताऊँ ...
कल मैंने बरसों पुराने एक अधूरे ख्वाब को फिर से बुनना शुरू किया है !
मुझे पूरा यक़ीन है कि वो ख़्वाब हक़ीक़त बनेगा !
भले ही अब वो उम्र ना रही तो क्या , ख़्वाब तो मेरा ही है ना ?

मैं फिर से स्कूल जाना चाहता हूँ ...
तुम्हारे साथ ...
तुम्हारा सहपाठी बनकर ...
बारहवीं कक्षा का !!!
लकड़ी की टेबल पर लोहे की पत्ती लेकर या काले मार्कर-पेन से उकेरना चाहता हूँ ....

Dev loves you… “

नहीं जानता कि क्यों , पर ये मेरा सबसे हसीन सपना है ।
शायद इसलिए भी कि ये सपना देखा तो था पर अब तक पूरा नहीं हुआ ।

कह दो न मुझसे ,
कि ये सपना ज़रूर पूरा होगा !
क्योंकि सपनों की कोई एज-लिमिट नहीं होती
और प्रेमी कभी ओवर-एज नहीं हुआ करते !!!

तुम्हारा

देव  









3 comments:

  1. आज मैं एक रिश्ता जोड़ आया हूँ ।
    लग रहा है कि मेरा बचा-खुचा अधूरापन भी अब पूर्ण हुआ जाता है ।
    कि तुम्हारे लिए मेरा प्यार और–और बढ़ता जा रहा है.......pyar hota hi aisa hai adhurepan mai bhi sampoornta kaa aabhaas hota hai.....din ba din ye pyar yun hi badhta rahe yahi dua karte hai......

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  2. “ देव तुम्हारे प्यार में बरक़त होती रहे ... हमेशा ! ".....Aameen !!!

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  3. कितनी प्यारी सी ख्वाहिश। बेहतरीन!!

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