Wednesday 2 July 2014

लाख मनाया , हज़ार मिन्नतें की !!!
लेकिन तब भी मेरा गढ़ा हुआ किरदार मुझसे ही बगावत कर बैठा।
कहने लगा .... 
" जब इज़हार के सारे रास्ते / चैनल्स बंद हो जाएँ तो सिर्फ फेसबुक का ही आसरा है "
फिर बोला … 
" मैं जानता हूँ वो 24 घण्टों में एक बार ज़रूर ऑनलाइन होती है .... दिन नहीं तो रात , सुबह नहीं तो शाम या फिर आठों प्रहर के किसी एक पल में तो रु-ब-रु होगी मुझसे .... मेरे जज़्बात से " !

लीजिये आप भी पढ़ लीजिये देव की ये पोस्ट …।



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