Wednesday, 2 July 2014

एक बार तुम भी संगदिल बनो ना !!!


ये फूल देख रही हो ?
बड़ा अद्भुत है ये फूल ।
इसे दिन, हफ़्तों और महिनों की जानकारी है शायद !
आश्चर्य हो रहा है ना तुम्हें ?
मगर ये सच है....
ये फूल सिर्फ़ मई माह में ही खिलता है
इसीलिए इसे “ May-Flower “ कहते हैं ।
है ना विचित्र ?
मानो पूरे साल तड़पा हो कोई प्रेमी, अपनी प्रेमिका के वास्ते ...
और संगदिल प्रेमिका ने भी ठान लिया कि प्यार की परीक्षा लेकर रहूँगी !!!
बस .... भेज दिया अपने प्रेमी को मिलन-निमंत्रण ।
पर लगे हाथ ये भी कहलवा दिया ,
कि मई की दुपहरी मैं पैदल आऊँगी ... दूर उस नीम की छाँह तले ।

पागल प्रेमी ये सोच कर असहज हो उठा, कि कली सी सुकोमल मेरी प्रेयसी ऐसी गर्मी में झुलस जाएगी ।
इसलिए उसने आने में असमर्थता जता दी ।
लेकिन रहा उससे तब भी न गया ।
वो दीवाना उस दिन पूरी दोपहर नीम के आसपास डोलता रहा ।
नीम की उसी छाँह तले, जहाँ आने का निमंत्रण उसने खुद ही ठुकरा दिया था ।
और जब शाम ढले सूरज की चकाचौंध मंद पड़ी तो बेसुध-सा वहीं धरती पर बैठ गया ।
तभी एक शीतल स्पर्श ने उसे चौंका दिया ...पलट कर देखा तो वहाँ प्रेयसी थी ।
प्रेयसी के मुख से एकदम सटकर खड़ा हुआ था लाल-गोल सूरज !!
अब वो सूरज की आँखों में आँखें डाल कर देख पा रहा था ।
सूरज के सानिध्य में उसे सूकून मिल रहा था ।
.... आँखें चुंधिया नहीं रही थी अब, सूरज को देखकर !
प्रेयसी ने प्यार से उसके ललाट का पसीना अपनी उंगली पर ले लिया ।
पर ठहर ना सकी बूँद... समा गयी जाकर तपती धरती में ।
वही बूँद बन गयी है अब “ मे-फ़्लावर ” !!!
मेरी बात को तुम कथा मान लो , दंत-कथा समझ लो या फिर मिथक का नाम दे दो ।
लेकिन मैं बरसों से यूँ ही देखता हूँ, मई के महिने में ये लाल फूल ।
पता नहीं क्यों और कैसे ये मई में ही आता है और मई के बाद अचानक कहीं गुम हो जाता है।
मुझे इसके विज्ञान में कोई रुचि नहीं ,
मैं तो इसकी दीवानगी पर फ़िदा हूँ ।
वो तड़प ... जो इसे मई से भटकने नहीं देती कभी भी !
इसे देखता हूँ तो मुझे अपनी दीवानगी तुच्छ लगने लगती है ।
यूँ तो तुम संगदिल नहीं ।
पर एक बार तुम भी संगदिल बनो ना !!!
मैं भी तो देखूँ कि मुझमें वो बात है या नहीं ?
.... जो प्यार को प्यार बनाती है ।

क्या पता .....
ये आगाज़ एक बीज बन जाये !
और खिल उठे ....
फिर से प्यार का इक नया फूल !
जिसका नाम रख दूँ मैं ,
...तुम्हारे ही नाम पर !
क्या कहती हो ?

तुम्हारा
देव
 


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