Wednesday 2 July 2014

वो तभी जी पाएगी, जब डूब जाएगी...


“ मुझसे दूर रहो थोड़ा ! “
यही कहती हो न तुम मुझे अक्सर ।
प्यार भी अजीब शै है ।
सात सौ सत्रह किलोमीटर दूर हो कर भी, तुम्हें ये लगता है कि अचानक मैं तुम्हारे बहुत करीब आ गया हूँ ... इतने करीब कि तुम्हें मेरी आदत होने लगी है ।
कमाल है सखी !
तन को मन ने लाँघ दिया ।
उफ़ !!!

अच्छा सुनो ...
इन दिनों में बड़े खूबसूरत अनुभव से गुज़र रहा हूँ ।
‘ अनुभव ‘ जिसमें कशिश ही नहीं , खुशबू भी है ।
पद्मा है उसका नाम ।
वो इसी ज़िंदगी में पिछले और अगले दोनों जन्मों की प्यास ले कर जी रही है ।
बड़ी अलग सी है वो ...
कुछ कुछ मोपासां की प्रेम कहानियों जैसी ।
मेरे ख़त पढ़े तो उसे उन शब्दों से प्यार हो गया, जो मेरी कलम से निकले थे ।
कहने लगी ...
“ देव,
ये भाव तो पता नहीं कब का सूख चुका था।
तुमने इसे क्यूँ सींच दिया ? “
फिर बोली ...
“ अच्छा ही किया।
देखो न, यौवन का गलियारा भी पार नहीं किया लेकिन उम्र असर दिखाने लगी ।
बहुत कुछ खो दिया है मैंने खुद से लड़ते-लड़ते। चलो अब बची हुयी ज़िंदगी तुम्हारे ख़तों के सहारे कट जाएगी। “
पता है प्यारी ...
उसे मुझसे प्यार हो गया है ।
मेरे शब्दों से, मेरी आवाज़ से, मेरी आवाज़ के बीच पसरे हुये मौन से !!

मुझे आज समझ आ रहा है ,
कि जब मैं तुमसे दीवानों जैसी बातें करता हूँ, तो तुम्हें कैसा महसूस होता होगा ।
तुम मेरी दीवानगी से थोड़ा सहम भी जाती होंगी ।
क्योंकि दीवाने के पास सिर्फ दिल होता है और कुछ नहीं ।
सच कहूँ ...
मैं नहीं चाहता कि पद्मा का प्यार और दीवानापन कम हो ।
मैं नहीं चाहता कि वो मुझसे लेश मात्र भी दूर हो ।
मैं तो ये चाहता हूँ कि वो और और अपने प्यार में डूबती जाये
... क्योंकि वो तभी जी पाएगी, जब डूब जाएगी ।
चाहता हूँ कि वो मुझसे पूछे
कि “ देव तुम अब तक कहाँ थे ? “
चाहता हूँ कि वो मुझे झकझोर कर ये कहे
कि “ तुम पहले क्यों नहीं मिले ? “
क्योंकि यही तो वो संजीवनी है जो उसमें जीवन फूंकेगी ।
यही तो वो श्लोक है जो उसकी धमनियों में नया संचरण देगा ।
नहीं तो वो पगली खुद को खर्च कर देगी बहुत जल्द !
मुट्ठी में बालू लेकर बैठ गयी है वो,
और निरंतर कस रही है अपनी हथेली को।
... उतनी ही तेज़ी से फिसल रहा है उसका जीवन भी !

सुनो ...
कल मैंने उसे ‘ लव यू ‘ बोल दिया !
क्या पता ,
उसकी मुट्ठी से फिसलती हुयी बालू को मेरी अंजुरी सहेज ले !
शायद वो थोड़ा और जी ले
... मेरे लिए !!!

तुम्हारा
देव
 


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