Tuesday 2 January 2018

एक डल्ला बाक़ी रह गया कहीं न कहीं


अल्हड़ थी लड़की
उमंगों से भरी हुई
और लड़का संजीदा
ख़ुद ही में खोया सा !
दोनों ने लोगों से ,
बहुत सुन रखा था
इक दूजे के बारे में।
और फिर आख़िर
वे दोनों मिले
एक फ़ैमिली फंक्शन में।
आधे दिन वाली एक सांझ
और पूरे दिन वाली दो रातों के लिए !
एक दूसरे को जब पहली बार देखा
तब आँखें मिली
मगर चार नहीं हो पायीं।
कुछ आड़े आ गया था
दोनों के बीच !
या तो किसी ने आवाज़ लगाई थी
या किसी के हाथ से
कोई गिलास छूटा था
छन्न से !!!
एक मीठा धागा धीरे-धीरे
खट्टी उलझनें फैलाने लगा था
कि तभी...
लड़की ने अनजाने ही एक मज़ाक कर दिया
...लड़के के साथ !!!
लोगों को हँसने का मौका मिल गया
और लड़के की आँखों में
किरकिरी सी आ गई।
वो वहाँ होकर भी
वहाँ का नहीं रहा।
एक दिन गुज़रा
फिर एक रात
अगला दिन ढलने लगा
तो साँझ को लड़की ने संदेसा भिजवाया।
"कोई बात बुरी लगी हो
तो माफ़ कर देना
ना जाने क्या है मेरे साथ भी
ख़ुशी क़रीब आये
तो नज़र लग जाती है।"
लड़के का दिल पिंघला
मगर पूरी तरह नहीं।
एक डल्ला बाक़ी रह गया
कहीं न कहीं।
उसने लड़की को बुलवा भेजा
व्यग्रता पर आस की दुशाला ओढ़े
वो चली आई।
और फिर वे दोनों मिले
दिन और रात के मुहाने पर !
सुरमई अँधेरा गहराने को था।
लड़के ने लड़की का हाथ खींच कर
उसे एक लंबी छाया के तले खड़ा कर दिया।
एक दूसरे की उंगली को थामे
दोनों कुछ देर तक
धक-धक स्पंदन महसूसते रहे।
लड़की हौले से बोली..."सॉरी!"
लड़के ने चाँदी की एक कटोरी में से
ढेर सारे दाने थमाते हुए कहा
"ये लो
इनको मुँह में रखकर
अच्छे से चबा लो
फिर नहीं लगेगी
कभी भी नज़र !"
लड़की ने झट से उसकी बात मान ली
और फिर तुरंत ही
वहाँ से चली गयी।
"बावरी है क्या
देख तो तेरा क्या हाल हुआ है।
काली मिर्च चबाये जा रही है
आँखें देख अपनी
ये लाल-लाल रेशे
ये आँसू
चेहरे पर ये तीखी सी झाल !"
सहेली की बात सुन
रोती हुई लड़की
अचानक हँसने लगी।
अपराध का बोध
तब हज़ार ज़हरीली नोक बन चुभता है
जब प्रायश्चित नहीं हो पाता।
लड़के ने उसी रात
वो जगह छोड़ दी।
जाते जाते मगर कुछ साथ ले आया
हमेशा के वास्ते !
एक दर्द,
एक अपराध-बोध,
या शायद एक अधूरा प्रायश्चित।
हर दूसरे रोज़ वो
दिन और रात के संगम तले
मसालों वाली गली में जाकर
एक ख़ास जगह पर खड़ा हो जाता।
जब लाल पिसी मिर्ची की तीखी धांस आती
तो ख़ूब खाँसता
इतना....
कि खाँसते खाँसते आँसू निकल आते।
फिर पैदल चलने लगता
और हर तीसरे कदम पर
एक कालीमिर्च
मुँह में रख कर दाँतों से दबा देता।
एक गुनाह ...
किसी को साक्षी बना कर किया।
एक प्रायश्चित...
जो सबसे छिप कर बार-बार किया।
सुनो...
मेरा एक काम कर दो ना।
उस लड़की से जाकर इतना कह दो
कि लड़के की हालत कुछ ऐसी है
कि सुक़ून में पीड़ा है
और मुश्किलों में राहत !
बस...
इससे ज़्यादा कुछ भी न कहना।
तुम्हारा
देव



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