आज ऐसा मन किया
कि कोने में रखे,
उस जर्जर स्टूल को उठाकर
फिर से,
उम्र के उसी दौर में लौट जाऊँ ;
जब वो स्टूल जवान हुआ करता था।
मेरे लड़कपन का दौर...!
आज मन किया
कि फिर से माँ की नज़रों से बचकर
चुपचाप ऊपर वाले स्टोर रूम की चाभी उठा
छत पर चला जाऊँ,
और फिर
उस लकड़ी के स्टूल पर चढ़कर
पंजों के बल उचककर
स्टोर रूम के रोशनदान से चेहरा सटा
बाहर की दुनिया को
छिपकर निहारूँ !
उसी कौतुक के साथ....
मन नहीं था
तो भी तुमसे किया वादा निभाया।
सुबह ठीक साढ़े पांच बजे
घूमने निकल गया।
जब मेरे ही पैरों की चाप
मन की उड़ान में ख़लल डालने लगी
तो हौले-हौले चलना शुरू कर दिया।
मगर तभी,
एक हलकी सर्द और ख़राशदार आवाज़
मेरे कानों में पड़ी
"भगवान् हमारे हैं
और हमारे का हमें भरोसा है।"
मुझे नहीं मालूम
कि यह आवाज़ किसी मंदिर से आयी या घर से...
रिकॉर्डेड थी या कोई बोल रहा था !
मुझे तो बस इतना पता है
कि उस आवाज़ को सुनते ही
मेरे भीतर तुम्हारा अक्स उभरा था।
हर बार,
जब बारिश विदाई की दहलीज़ पर रुककर
एक बार पीछे मुड़कर देखती है।
तब-तब मैं ये सोच कर आल्हादित हो उठता हूँ
कि अब,
उमंगों और त्यौहारों का दौर आने वाला है।
जाने कितनी गड्डमड्ड सी यादें
उभरने लगती हैं।
कभी-कभी लगता है
कि कुछ यादें ऐसी हैं
जिनको सिर्फ किताबों में पढ़कर अपना मान बैठा।
तो कुछ निरी कपोल कल्पनाएं हैं
जिन्हें मैं एक भूली याद समझने लगा हूँ
तुम्हें याद है ....
दस या बारह दिन हुए
जब तुमने अपने पैरों में सुन्दर सी जूतियां पहन
एक तस्वीर ले भेजी थी
और मैसेज में लिखा था...
"सिंड्रेला के शूज़ !"
उस रात,
मैं अजीब सी जागी और सोई हालत में रहा।
कोई एक से चार के बीच जब नींद आयी
तब मैंने एक सपना देखा।
सपने में तुम,
सिंड्रेला के रूप में ;
और तुम्हारे साथ एक सुदर्शन युवक।
खुश-खुश थीं तुम !
सबसे बतियाती, इधर से उधर डोलती
और जैसे ही
मैं तुमसे बात करने आगे बढ़ा
तुमने उस युवक को पुकारा
और उसका हाथ थामकर विदा हो गईं।
तभी,
कहीं से एक आवाज़ उभरी
"सिंड्रेला अपने राजकुमार के साथ चली गई।"
एक कागज़ मेरी मुट्ठी में कसमसा कर रह गया।
स्वप्न में ही !
कागज़...
जिसपर लिखकर लाया था
मैं अपना प्रेम-पत्र !
रोता रहा देर तक ...
उस कागज़ को हाथों में मसलते हुए
और जब आँख खुली,
तो तकिया आँसुओं से भीगा हुआ था।
जानती हो...
मैं तुम्हें ख़त इसलिए भी लिखता हूँ
ताकि हर बार
एक नए अंदाज़ में
प्यार लिख सकूँ।
ताकि हर बार तुम्हें महसूस हो
कि आज पहली ही बार
तुम अपने देव से मिली हो
और अभी-अभी मैंने
अपने धड़कते दिल का हाल तुमको बताया है
समझी ...?
सोना मेरी !!
तुम्हारा
देव
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