Tuesday 2 January 2018

वो मेरी ज़िद थी, ये मेरा प्यार है



प्रिय देव,

स्वीकार है मुझको,
ज़िद्दी कहलाना !
लेकिन जिसे लोग मेरी ज़िद समझते हैं,
दरअसल वो,
मेरे मन की मौज है।
क्या ज़रूरी है 
कि हर बार जब बारिश हो,
तो भागकर 
किसी 'शेड' की पनाह ली जाये!
हर बार जब हँसो
तो ये ध्यान रखो
कि हँसी ज़्यादा 'लाऊड' न हो जाये!
हर बार जब कपड़े पहनो 
तो ये एहतियात बरतो 
कि कोई कॉम्बिनेशन 'ऑफबीट' न हो जाये!

कल देखने लायक था तुम्हारा चेहरा।
जब लॉन्ग स्कर्ट के साथ 
मैंने तुम्हारा शर्ट पहनकर 
सर पर काउबॉय हैट लगा ली थी।

जानते हो 
तुम मुझे क्यों अच्छे लगते हो ,
क्योंकि तुमने मुझसे प्यार किया 
और फिर 
मुझे बदलने का ख़याल अपने मन में नहीं लाये।

अक्सर लोग दिखावा तो करते हैं
लेकिन ख़ुद नहीं बदलते 
भीतर से जस के तस बने रहते हैं 
और इसके ठीक उलट 
अपने प्रिय को बदल देना चाहते हैं 
.......पूरी तरह !
तिस पर दुहाई प्यार की दिया करते हैं।
कमाल है 
ये तो फिरौती हुई ना !

अच्छा सुनो 
एक बात और .....
ज़रा-ज़रा सी बातों पर 
यूँ आहत न हो जाया करो।
पता है मुझे 
उस पतली मूछों वाले युवक को देख 
जब मैं मुस्काती हूँ ,
तब तुम बड़े विचलित हो जाते हो।
कुछ कहते नहीं 
पर तुम्हारे भीतर की छटपटाहट 
तुम्हारे चेहरे के रोम-रोम से 
बयां हो जाती है।
ऐसा न किया करो देव 
किसी में कुछ अच्छा लगना 
उसके प्यार में पड़ना नहीं होता 
समझे हो ......!

मानती हूँ 
वो मेरी ज़िद थी,
जब लाख कहने पर भी 
बागीचे की सैर के लिए,
तुम्हारे साथ नहीं गई।

मगर ये मेरा प्यार है,
कि तुम्हारी उस चाहत को ख़ुद में समेटे 
आज बिन बताये,
मैं यहाँ चली आई।
यहाँ के पेड़, यहाँ के फूल, यहाँ के पंछी 
और वो बेंच जिसपर तुम बैठा करते हो।
सब बेक़ल हो रहे हैं 
ये बताने को 
कि तुमने मेरा ज़िक्र कई-कई बार 
मौन रह कर किया है इन सबसे !
ये भी पूछते हैं मुझसे मन ही मन 
कि अपने देव के साथ क्यों नहीं आईं ?

सुनो.......
बतखों का एक जोड़ा देखा मैंने 
एक मादा बतख,
बिलकुल मुझ जैसी 
अपने आप में मगन !
और एक उसका प्रेमी बतख 
बिलकुल तुम जैसा 
एक पैर पर खड़ा हुआ।
उनको देखकर बड़ा अच्छा लगा 
जैसे कोई एक 
दिखाने के लिए रूठा हो 
और दूसरा 
उसको मनाने का हर जतन कर रहा हो।

कौन कहता है 
कि एक पैर पर सिर्फ बगुले खड़े होते हैं 
अपने स्वार्थ के लिए।
कभी-कभी 
कोई प्रेमी, कोई योगी या कोई बतख भी तो 
एक पैर पर खड़े हुआ करते हैं।
अपने संसार के भीतर 
एक नया संसार खोजने के लिए।

क्या मैंने कुछ गलत कहा !
बोलो ?

तुम्हारी 
मैं!



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