जाने कितनी ऐसी बातें
हैं
जो तुम कभी साझा नहीं
करतीं ।
मुझसे जुड़ी तुम्हारी
बातें !
... हमारे प्यार की
बातें !!
तुम तो बस चुपचाप
मेरी बातें सुन कर
हौले हौले मुसकाती
रहती हो।
कभी कुछ कहती ही नहीं...
कल भी तो यही हुआ
विदा लेने से ठीक
पहले
मुड़कर देर तक मुझे
देखती रहीं
और ज्यों ही हमारी
आँखें चार हुई
तुम चहकते हुये बोलीं
“मैं बहुत खुश हूँ।”
और बस...
फिर तुम चली गईं।
तुम्हारे जाने के
बाद
मैं सोच में पड़ गया
कि मैं ...
अगर अपनी बात तुमसे
ना कहूँ
तो कसमसा जाता हूँ,
और तुम ...
अपनी बातें,
बस अपने ही मन में
रखकर
इतने सुकून से कैसे
रह पाती हो ?
इसीलिए कई बार
मैं तुम से रूठ जाना
चाहता हूँ;
लेकिन तुम्हारे सामने
आते ही
पिंघल कर बहने लगता
हूँ !
आज कुछ विचित्र हुआ
मुझे पता था कि मैं
गलत नहीं हूँ
तब भी अपराधबोध से
भर उठा।
सारी गलती उस बूढ़े
आदमी की थी
इसलिए मैं उस पर नाराज़
हो गया
लेकिन ये क्या ...
पलट कर जवाब देने
की जगह
उसने अपने कान पकड़े
और झुककर माफी माँग
ली।
.... अजीब से गिल्ट
ने कस लिया मुझे !
वो बूढ़ा जाकर भी नहीं
गया
कहीं न कहीं मुझमें
रुककर
एक सज़ा दे गया।
कुछ समझ नहीं आया
सुन्न सा बैठा रहा
फिर जाने क्या सोचकर
सनस्क्रीन लोशन को
हाथ में लिया
लेकिन चेहरे पर नहीं
मला,
कैप भी नहीं लगाई,
बाईक उठाई
चिलचिलाती धूप की
तरफ मुँह करके बेसबब निकल पड़ा
चाहता था
बाहर से इतना झुलस
जाऊँ
कि भीतर सुकून आ जाए
!
तेज़, धीरे और फिर तेज़ रफ़्तार...
पता नहीं किस उधेड़-बुन
में चला जा रहा था
तभी एक लोडिंग-ऑटो
दिखा
व्हाइट सीमेंट की
बोरियों से लदा
उन बोरियों पर बैठा
एक विचित्र सा आदमी !
जगह-जगह सफेदी लगी
हुई
अजीब सा संतुष्टि
का भाव लिए
जाने क्या सोचता
फिर थोड़ी-थोड़ी देर
बाद ख़ुद ही में मुसकुराता हुआ।
एक बार लगा कि अंधा
है
फिर लगा कि मुझे कोई सन्देस देना चाहता है।
इतना निर्लिप्त, इतना निर्विकार
कि जैसे...
कोई साधु
.....सच्चा सा !!
नहीं, नहीं जैसे कोई निराकार
जिसने साकार रूप ले
लिया।
जो सबको देखकर भी
किसी को नहीं देखता
जो कहीं नहीं होकर
भी सब में है।
अचानक ...
मैं पागलों की तरह
उस लोडिंग ऑटो का पीछा करने लगा।
राह चलते लोगों की
परवाह किए बगैर !!
एक हाथ से हैंडल
और दूसरे हाथ में
मोबाइल पकड़े,
एक के बाद एक फ़ोटो
लेने लगा।
उस समय बस यही लग
रहा था
कि इसकी तस्वीर ना
ली
तो कुछ अधूरा छूट
जाएगा।
और आख़िर...
एक मोड़ पर हम जुदा
हो गए
पलट कर देखा
तो उस लोडिंग ऑटो
पर यह लिखा था
“दूसरों की चीज़ देख
हैरान मत हो,
ख़ुदा तुझे भी देगा
परेशान मत हो।”
सुनो प्यारिया......
उस ख़ुदा ने कितनी
नेमत बख़्शी
... तुम्हें बनाकर
!
तुम ना होतीं
तो कैसे रह पाता इस
जिस्मों से अटी पड़ी दुनिया में !
लेकिन मैं बार-बार
यही बातें सोचकर घबरा क्यूँ जाता हूँ ?
जबकि मुझे पता है
कि तुम हो यहाँ हर
पल
मेरे साथ, मेरे पास !
कितना विरोधाभासी
है.....
मेरे भीतर का मैं
!
थाम लो न मुझको !!
तुम्हारा
देव
No comments:
Post a Comment