Thursday, 8 September 2016

तुम्हारे बगैर अधूरे हैं मेरे प्रायश्चित...





रहस्य की कई परतें खुलती जाती हैं,
जब-जब तुम्हारे साथ होता हूँ।
परतें....
जो मुझको काल के परे ले जाकर
तुम्हारे नये-नये रूपों से मिलवाती हैं।
एक रूप,
जिसमें तुम लॉन्ग-स्कर्ट पहने हुये
न्यूयॉर्क के टाइम्स-स्क्वेयर पर खड़ी
मंद-मंद मुस्कुरा रही हो। 
तो दूसरा रूप,
जिसमें एक बड़ी सी राजस्थानी हवेली में
कंगूरेदार छत के नीचे
रानी की पोशाक पहने
कहीं दूर क्षितिज को देख रही हो।

जब मैं तुमसे कहता हूँ
कि तुम मेरे लिये अलौकिक हो
तो उसके मायने सिर्फ ये होते हैं
कि अनजाने ही
मेरी आत्मा, तुम्हारी आत्मा के आगे नत हो जाया करती है !
नहीं जानता
कि ऐसा क्यों होता है !

अब कल की ही बात ले लो
तुम तो चंद लफ़्ज़ कहकर चली गईं
और....
और मेरा पूरा जीवन
आईना बन मेरे चारों ओर चक्कर काटने लगा।
तुम्हारे वो शब्द,
अब भी गुंजायमान हैं।
“देव,
जानते हो ना
क्षमा-पर्व चल रहा है।
जाने कितने जीवों के ऋणी हो तुम !
उपवास और प्रार्थना की तुमने ?
अपने जाने-अनजाने अपराधों के
...साक्षी बने तुम ?
यदि ऐसा नहीं किया
तो कर लो
नहीं तो ये क्षमा-पर्व भी व्यर्थ चला जाएगा।
किससे और कैसे क्षमा-वाणी का इज़हार करोगे ?”

सखिया मेरी ....
तुम तो ये कहकर चली गईं
और मैं घोर अपराधबोध में जकड़ गया।
लगने लगा
कि ऐसे कितने ही अपराध
मेरे हिस्से में दर्ज़ हैं
जिनके लिये इस जन्म में
मुझे क्षमा नहीं मिल सकती।

वो लंगड़ा सेल्स-मेन...
जो मेरे हाथ के धक्के से
नीचे गिर गया था।
वो बूढ़ा आदमी
जिसने मुझसे
किराये के उनतीस रुपये माँगे
और फिर रीता लौट गया।
वो पीली तितली...
जो मेरे हाथों में उलझकर लड़खड़ा गई थी
और जिसका रंग
खूब हाथ धोने पर भी
बचा रह गया था।

ओह, ओह, ओह !!!
किस-किस का ज़िक्र करूँ
किस-किस से याचना करूँ
कैसे किसी को समझाऊँ
कि कुछ अपराध
क्षमा माँग लेने के बाद भी
अपराधी के दिल को कचोटते रहते हैं
चाहे कोई लाख क्षमा कर दे !

सुनो...
एक इलत्ज़ा है मेरी
जिस दिन तुम सबसे क्षमा माँग कर
अपना उपवास खोलने बैठो
उस दिन
अपना भोजन खत्म करने के बाद
एक कोर बचा लेना
और उसे
अपने ही हाथों से मुझे खिलाकर
मेरी आँखों में दया के भाव से देख लेना।
फिर जब मैं पलट कर जाने लगूँ
तो आवाज़ देकर अपने पास बुलाना
और मेरे माथे को सहला देना !

यकीन मानो ...
जाने कितने जन्मों के अपराधों का
प्रायश्चित हो जायेगा
और मुझे ...
सबसे क्षमा मिल जाएगी।
सच !!!

तुम्हारा
देव



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