Thursday, 14 July 2016

प्रेम और कुछ नहीं, संकेतों की ‘डि-कोडिंग’ है !





संकेतों की भाषा...
समझ नहीं पाता था
जब तक कि तुमसे मिला नहीं था।
और फिर उस दिन
.... तुम्हारी मासूम खिलखिलाहट
मिश्री की डली बनकर
जब मुझमें घुली
तो लगा,
जैसे एक धुंधला आवरण
हमेशा के लिए हट गया
मेरे मन और तन दोनों पर से।

गुड़िया मेरी...
कहाँ से शुरू करूँ अपनी बात !
तुमसे, तुम्हारी सहेली से या फिर उस लड़की से !!!
वो लड़की....
जो कभी तिब्बत और हिमालय में गुम हो जाती है।
तो कभी धर्मशाला में कई-कई दिन रुककर
दलाई लामा की पड़ोसी बन जाती है।
वो लड़की मुझसे बोली थी एकबार....
“देव,
तितलियाँ आत्माओं के संदेसे लाती हैं
कभी कोई तितली
तुम्हारे पास से गुज़रे,
तो थोड़ी देर ठहरना
और उन तरंगों को पकड़ना
जो तुम तक आ रही हों,
उन तितलियों से।”
यूं तो हर बात मैं बड़े ध्यान से सुनता हूँ
मगर उस दिन
उस लड़की की बात
मैं चाहकर भी नहीं समझ पाया !!

और अब ज़िक्र तुम्हारी सहेली का....
जिसके अल्हड़, बेलौस अंदाज़ के आगे
अच्छे-अच्छे सूरमा बगलें झाँकने लगते हैं।
जितनी तुम छुई-मुई
वो उतनी ही बिंदास !
वैसे तो तुम इतनी सलीकेदार हो
कि कोई तुम्हारे साथ बे-बात मज़ाक़ भी ना कर सके।
मगर उस दिन ....
जब तुम्हारी सहेली तुम पर फ़िदा होकर
तुम्हें डेट पर ले जाने की बात करने लगी
तो मैं भौंचक रह गया।
एक पल को लगा
कि इसने मेरा मन पढ़ लिया
और चुहल कर रही है मेरे साथ !
दूजे पल लगा
कि भला एक सहेली भी कहीं
अपनी दूसरी सहेली को डेट पर ले जाती है ?
मैं वहाँ से चला आया
मगर वो निर्मल भाव, पूरे दिन मुझसे लिपटा रहा
......तुम बनकर !

सौम्या मेरी....
बरसों पहले एक सपना देखा था
उस सपने में एक लड़की थी
उस लड़की के साथ
दूर तक चला था मैं,
हाथों में हाथ को थामे हुये !!
एक छोटी नदी का किनारा
कुछ जंगली फूल रानी कलर वाले
लंबी घास का एक छोटा सा मैदान
यही सब था सपने में !
बैठ गए थे हम दोनों  
एक छोटी सी घाटी पर।  
.... प्रकृति को पीते हुये
बिलकुल अबोले !
हाँ,
उस लड़की का चेहरा मैंने नहीं देखा था।
बस कपड़ों का रंग
और एक विलक्षण अनुभूति
ये दो ही बातें याद हैं !
और फिर ...
सपना पूरा होने के बाद वाली सुबह का अहसास !
अहा....
लंबे समय तक
इतना संतुष्ट रहा
जितना कि एक अबोध बच्चा
अपनी माँ के आँचल में !

आज जब ये तितली
तुम्हारे चारों ओर घूम कर
दीवार पर बैठ गयी
तो अचानक सबकुछ फिर से याद आ गया।
वो सपने वाली लड़की
तुम ही थीं !
और उसके कपड़ों का रंग
बिलकुल इस तितली के नारंगी रंग जैसा।
प्रेम और कुछ नहीं
संकेतों की डि-कोडिंग है !
क्या तुम्हें भी कुछ याद आ रहा है ?
बोलो .....

तुम्हारा
देव     


1 comment:

  1. nice.....landed here after recommendation by a FB friend on her wall.

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