प्रिय देव,
शहर के मुहाने पे मिट्टी का टीला एक,
टीले के पास लेटी, अधसूखी बूढ़ी नदी।
नदी से झाँकते पानी के डबरे;
उस पार एक खंडहर
खंडहर का अंधेरा कोना,
कोने से सट कर खड़ी मैं !
मैं ....
जैसे एक दीवार पुरानी
अपने अतीत की परतों को थामे हुये।
और एक तुम ....
कौतूहलमय बालक जैसे !!!
याद है उस दिन....
मैं तो स्थिर खड़ी थी
पर तुमने हाथों की नरमी से
मुझमें स्पंदन फूँक दिया था।
एक पपड़ी झर गयी थी मुझसे अलग होकर,
और तुमने थाम लिया था
अपनी अंजुरी में !
घंटों बैठ बतियाते रहे थे मुझसे...
सब के सब जब दुनियादारी में मसरूफ़ हो जाएँ
परिंदे भी अपने पेड़ों से बहुत दूर निकल आएँ
दुपहरी सूनी और उदास लगने लगे
सूरज का ताप भी अंधेरे को न सुलगा पाये
तब आते हो तुम दबे पाँव ...
मेरी तनहाई में झंकार की तरह !
खोल देते हो मेरे मन का अंधेरा दरवाज़ा
और राहत दिलाते हो मुझे
बरसों की उस सीलन से !!!
कुछ वक़्त की नेकी
और कुछ मेरी बदी ...
पता ही नहीं चला
कब और किसने, मेरे ऊपर एक के बाद एक कई खूँटियाँ गाड़ दीं।
मैं शायद कभी न समझ पाती
गर उस दिन तुमने
वो एक खूँटी न निकाली होती....
वहाँ अब गड़हा है
वहाँ अब खूँटी भी नहीं
मगर वहाँ एक सुकून है।
कितनी सारी कीलें, हम गाड़ लेते हैं
.... अपने आस-पास !!!
एक कील इस नाम की
तो दूसरी कील उस नाम की
फिर वहाँ नाम नहीं रहते
बस कीलें रह जाती हैं।
खाली कीलें....
जिन पर टंगी रहती है कोई उलझी, अनचाही याद !!!
हक़ीक़त में हम चाहते हैं
कि ‘कोई’ आये
उस एक कील को उखाड़े
और उखड़ा ही छोड़ दे !
मेरे लिए वो ‘कोई’ तुम हो देव....
मेरे प्रीतम !!
एहसास भी तुम,
परछाई भी तुम,
डाली पर खिलता फूल भी तुम,
शाख से जुदा हुआ पत्ता भी तुम !
तुमको मैं हर रूप में देखती हूँ
नहीं देखती तो बस अपने वर्तमान के रूप में !
वर्तमान बहुत जल्दी फिसल जाता है देव
मेरा अतीत बन जाओ
मेरा भविष्य बन जाओ
या फिर हम दोनों चले जाएँ
दो अलग-अलग काल खण्डों में
और वहाँ से निहारा करें
एक-दूसरे को !
दूर बैठे एक सपना बुनें,
भविष्य का सपना....
और जो कभी वर्तमान के किसी मोड़ पर आमने-सामने आ
जाएँ
तो इतने अजनबी बन जायें
जितने कि दो ध्रुवों पर गड़े हुये दो पत्थर।
और ज्यों ही एक-दूसरे से दूर हों
तो फिर से तड़पने लगें परस्पर !!!
कैसा लगा मेरा ये खयाल ?
थोड़ी पगली हूँ
पर प्रेम की कसक समझती हूँ
सुनो...
हैरान ना हो जाना
मेरी इन बातों से !
तुम्हारी
मैं
Ek aisii gadi keel jo hamesha teestii rahe,aah!
ReplyDelete