अपने
ऊपर का सारा बोझ उतार देता हूँ
जब-जब
तुम्हें कोई ख़त लिखता हूँ।
हर
उभरते शब्द के साथ
सुलझती
जाती हैं
........मेरी
सलवटें !
मानो,
करीने
से तह लगा रही हो तुम।
व्यवस्थित
होता जाता हूँ मैं,
फिर
से अस्त-व्यस्त होने के लिए।
यही
तो है ज़िन्दगी
कोयलिया
मेरी।
हरसिंगार
के उबले हुये पत्तों का पानी,
जो
पिछली गर्मियों में छोड़ दिया था
फिर
से पीने लगा हूँ।
लाख
कोशिशों के बाद भी
मैं
गलतियों से नहीं बच पाता
और
हर गलती के बाद
ख़ुद
से खफ़ा हो जाता हूँ।
जाने
क्यों हूँ मैं ऐसा !!!
पत्तियाँ
तोड़ने गया
पत्तियों
के संग फूल तोड़ लाया
वो
भी रात दस बजे के बाद !
आकर
देखा
तो कुछ
कच्ची कलियाँ भी साथ चली आईं थीं।
बस...
ग्लानि
के भंवर में
गोल-गोल
घूमे लगा।
सोचा
अब कैसे
और क्या मुँह दिखाऊँगा तुम्हें।
फिर
एक खयाल आया और मैं हँस पड़ा
लगा,
जैसे
दूर बैठकर तुम कह रही हो...
“देबू,
एटा
ओनेक बेशी हुये जाबे
एक्टू
कोम कोर .......
ओ देव,
ये बहुत
ज़्यादा हो जाएगा
थोड़ा
कम करो
इतना
सोचना अच्छा नहीं।”
सच कहूँ
तो
बड़ा
सजग रहता हूँ
कि कहीं
कुछ ज़्यादा न हो जाये।
मेरी
चाहतें, मेरी नफ़रतें
मेरे
संशय, मेरी ख्वाहिशें
सबको
सीमित करने में लगा रहता हूँ सखी।
तब भी
....
मगर
तब भी,
हर बार
!
...
कोई न कोई गलती कर बैठता हूँ।
शायद
मुतमइन रहता हूँ
कि तुम
निकाल लोगी मुझे।
इसीलिए,
तलाश
लिया करता हूँ
एक नया
भँवर
मैं...
अपने
लिए !
पिछले
इतवार की सुबह
केनेडा
वाले उस दोस्त का फोन आया
जिसने
पैंसठ की उम्र में ड्रायविंग-लायसेंस की परीक्षा पास की।
बड़ा
खुश था वो।
कहने
लगा...
सड़क
पर सुनहरे बालों वाली एक हसीन युवती ने
हाथ
हिलाकर, मुस्कुराते हुये उसका अभिवादन किया।
वो कुछ
समझ पाता
इसके
पहले ही
युवती
चली गयी
हवा
की रफ़्तार से !
मगर
मेरा दोस्त बहुत खुश था
उस हसीन
एहसास के साथ।
और मैं....
सिहर
गया।
एक पल
को लगा,
कहीं
तुम तो नहीं थीं वो?
हाSSS
कैसे-कैसे
ख़यालों के भँवर.....
पड़ते
हैं मेरे मन में।
मेरा
जी करता है
कि हर
ख़याल से तुम्हारी तस्वीर बना दूँ
मगर
क्या करूँ
मुझे
तो ब्रश थामना भी नहीं आता।
याद
है,
पिछली
मुलाक़ात में तुम बोली थीं
“बड़े
बतबने हो देव,
बातें
बनाना कोई तुमसे सीखे।”
सुनो
संगिनी,
मुझे
तो बोलना भी नहीं आता था
जब से
तुम मुझमें उतरीं
तबसे
मैं ‘बतबना’ हो गया।
खुद
अचरज में हूँ
कि कैसे?
हाँ,
उन कलियों
के टूट जाने का दर्द
कुछ
कम हो चला है।
भरोसा
है,
कि जल्द
ही
कोई
नयी कली आएगी उस जगह
फूल
बनने के लिए।
है ना
.......
तुम्हारा
देव