Thursday, 14 August 2014

कभी यूँ भी होता है न ...



यूँ तो वो बहुत संजीदा है ।
लेकिन आजउसकी कुछ शोख़ तस्वीरों ने मुझे चौंका दिया ।
बहुत पुरानी तस्वीरें ...
जिन पर अपनी छाप छोड़ वक़्त कब का विदा हो गया ।
कबर्ड खोल कर सुबह से ही जाने क्या ढूंढ रही थी वो
कि अचानक एक एल्बम हाथ आ लगा !
एल्बम....
जिसमें सिमटे हुये थे, संघर्ष और सपनों की कॉकटेल जैसे दिन !

कभी यूँ भी होता है न ...
जीवन और यौवन आपसी कदमताल में इतने उलझ जाते हैंकि स्थिर वस्तुएँ भी गतिमान लगने लगती हैं ।

कुछ ऐसे ही दिन थे ....
जब उसके पिता को ज़िंदगी ने धोखा दिया !
उसने पुरुषत्व ओढ़ कर सारी ज़िम्मेदारी संभाली और अकेली चली आई ,
रोशनी से चुंधियाते मायावी संसार में ।

कुछ अलग थी वो तब भी ...
अकेले में छुई-मुई सी हो जाती
और सबके सामने बिलकुल दुस्साहसी !!!
एक बार तो उसने साथी कलाकार के हाथ से पैकेट छीन कर सिगरेट निकाल ली...
और देखते ही देखते अपनी नाज़ुक उँगलियों के बीच उसे फंसाकर लंबे-गहरे क़श लेने लगी ।

ओह ...
कितनी भी कोशिश कर लूँ
मैं उसे नहीं समझ पाऊँगा ।
उसकी इन तस्वीरों ने आज मेरा हाथ पकड़ कर मुझे वहीं रोक लिया है ।
...उस काल विशेष में !
जब वो कभी रंगमंच पर दिखती ,
यदाकदा दूरदर्शन पर नज़र आ जाती ,
लेकिन अक्सर पर्दे के पीछे सपनों की डोर से सितारे टाँकती रहती !
अब लगता है ....
कि सौन्दर्य हमेशा समय के सापेक्ष चलता है ,
और समय कभी एक सा नहीं रहता ।

मैंने लाख चाहा ...
पर उन तसवीरों के पार नहीं जा सका ।
बल खाती लहरिया ज़ुल्फें,
सुता हुआ चेहरा ,
अपने में डुबो लेने को आतुर उसकी आँखें !
मैं निगाह नहीं हटा पाया ।

और ये दूसरी तस्वीर देखो ...
जिसमें वो हँसते लजाते हुये केक काट रही है....
अपने जन्मदिन का !
चेहरा दिखाई नहीं देता, फिर भी भाव छलके जा रहे हैं ।
कल वो मेरे लड़खड़ाते शब्दों को पढ़ कर हौले से बोली ...
आज मैं टमाटर सी लाल हुयी ।

सुनो ...
तुम भी तो मुंबई में रहती हो ।
मेरा एक काम करोगी ?
ये ख़त मिलते ही उसके घर चली जाना ...
फूलों का एक अनगढ़ गुच्छा लेकर ।
अरे हाँ...
रजनीगंधा के फूल मत भूलना !
और जब वो उन फूलों को देखकर खिल उठे ,
तो उसके गालों की लाली सहेज लेना ....
अपनी मध्यमा और अनामिका पर !
यही वो भाव है जो मुझसे फिर फिर एक नया ख़त लिखवाता है ।
वरना मैं क्या ?
मैं तो बस एक प्रेमी हूँ ... अधूरा सा !!!

तुम्हारा

देव




2 comments:

  1. बेहद खूबसूरत हमेशा की तरह..... प्यार के हर रंग हर अहसास को बखुबी बयाँ करते हो तुम देव..... :-)

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  2. शुक्रिया संध्या ।
    :)

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