Thursday, 11 August 2016

मेरा चोला बदल दो ना !



  

चेहरे.....
चेहरों पर चेहरे
उन पर भी चेहरे
और जेबों में नक़ाब !
हाँ,
ऐसे ही लोग हैं मेरे आस-पास।
इनको मैंने नहीं चुना
मेरे पर्यावरण की देन हैं ये।
जानता हूँ,
तुम फिर कहोगी
Why you are giving so much importance to them !”
लेकिन एक बात बताओ
कोई जानबूझ कर तो ख़ुद को तकलीफ नहीं देता ना !

कल फिर डॉक्टर के यहाँ गया था
ब्लड-प्रैशर लगातार बढ़ा हुआ है।
डॉक्टर कहते हैं
कि वो स्थिर हो गया है ..... एक ही बिन्दु पर !
मैं उनको ये कैसे कहूँ
कि मैं तो चाहकर भी स्थिर नहीं हो पाया
...... आज तक !
भटकता रहता हूँ
अबाध गति से
अपने मन के जंगल में।
कभी-कभी लगता है
कि इंसानी जिस्म में आना ही
मेरी रूह की सबसे बड़ी गलती है।
ये शरीर ही आत्मा की बेचैनी का कारण है।
लेकिन तब भी....
हम शरीर से ही प्यार किया करते हैं।
ऐसा क्यों है ?
बोलो ...

बहुत कोशिश करता हूँ
कि तुम्हारी तरह बन जाऊँ
लेकिन नहीं बन पाता !
जब-जब तुम,
किन्हीं ख़ास लोगों से
मुस्कुरा कर बातें किया करती हो
मेरे मन में डाह आ जाती है।
तुम्हारे प्रति मेरे प्यार के भी
जब मतलब निकाले जाते हैं
मैं तब बहुत असहज हो जाता हूँ।

किस-किस को,
और कितनी तरह से समझाऊँ
कि मैं एक मामूली इंसान हूँ।
जिसे तुम्हारे प्रेम ने ख़ास बना दिया।
तुम्हारी नज़र की एक लपट ने
मुझे पिंघला दिया।
और मैं ऐसा पिंघला
कि फिर कभी ठोस नहीं हो पाया।

अब कुछ ऐसा कर दो
कि किसी की कोई बात, कोई चेष्टा
मुझे परेशान न कर पाये।
फिर से खाने में स्वाद आने लगे। 
फिर से फूलों की खुशबू रिझाये।

या फिर यूं करो
कि मुझे बतख़ बना दो
और ले जाकर
बतख़ों वाली बगीची में छोड़ आओ।
मैं उनकी तरह चहकूंगा
हरी  मुलायम घास पर लेट जाऊँगा।
पानी में किल्लोल करूँगा
सताये जाने के डर
और आने वाले कल की फ़िक्र से बहुत दूर !
कभी कोई बच्चा या कोई बूढ़ा
पास आकर प्यार से सहला देगा।
कभी कोई अनजान, अजनबी
आँखों में प्यार लिए
डबल रोटी का टुकड़ा या अनाज का दाना चुगा देगा। 
मगर तुम वही बनी रहना
... जो तुम हो !
एक अधूरे प्रेमी की,
सम्पूर्ण प्रेयसी।
बस कभी सुबह
तो कभी शाम को आकर
एक प्यार भरी नज़र डाल दिया करना,
या फिर हौले से
अपने हाथ मेरी पीठ पर फेर दिया करना।
मेरा चोला बदल दो ना !
मुझे बतख़ बना दो !!
बस एक बार !!!

तुम्हारा
देव


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