आज फिर तुमने,
एक तस्वीर भेजी।
एक आम तस्वीर .....
जो दिव्य है मेरे लिये।
पेंटिंग बनातीं तुम
और तुम्हारा साथ देती
हौले से ब्रश को थामे
तुम्हारी प्यारी बिल्ली।
सच-सच कहूँ....
तुम्हारा हर इशारा नहीं समझ पाता मैं।
मगर हाँ,
कुछ ख़ास घटने लगता है
मेरे जीवन में....
तुम्हारे गूढ़ संकेतों के बाद।
बिल्लियों को पहले भी देखता था,
मगर एक दूरी से।
पर अब एक आस्था जाग गयी है,
मेरे मन में इनके लिये;
तुम्हारी सहेलियाँ जो हैं ये !
बरसों पहले
खूंखार घरेलू बिल्लियों वाली
जो हॉलीवुड फिल्म देखी थी ना
उसके खौफ़ के निशान
ज़ेहन की पगडंडी से मिट गए हैं अब।
तुम्हारे साथ का असर है ये मुझ पर !
जानता हूँ,
कि मेरी बात सुनकर तुम मौन ही रह जाओगी।
कि जब-जब मैं दीवाना होता हूँ
तब-तब तुम तटस्थ हो जाती हो
निस्पृह-निर्लिप्त सी !
उस दिन जब,
मैं तुम्हारी तस्वीर पर मोहित हुआ
तब कितनी साफ़गोई से बोली थीं तुम...
इसमें मेरा कुछ नहीं !
प्रॉपर-लाइट, बैकग्राउंड और इन वादियों का असर...
इस सब से मिलकर तस्वीर सुंदर बन पड़ी है।
सरला मेरी ...
कितनी सहज हो तुम !
कितनी गरिमामयी !!
बिलकुल धरती के जैसी।
तुम कविता नहीं लिखतीं
फिर भी तुम्हारी बातें महाकाव्य सी लगतीं हैं।
कई-कई बार मैं सोचता रह जाता हूँ,
कि रसोई, बाज़ार और आँगन को
संभालतीं तुम;
अपनी कूची में इतने रंग कैसे सहेज लेती हो !
कोई महत्वाकांक्षा नहीं,
पर जीवन जी लेने की अदम्य लालसा !
कोई जल्दबाज़ी नहीं,
पर लगातार चलते रहने की उत्कट आकांक्षा !
और जो कभी
तुम निर्बंध होना चाहो
तो रो लिया करती हो जी भर,
तकिये से लिपटकर।
उफ़्फ़ तुम...
और तुम्हारा इमैजिनरी-वर्ल्ड,
जहाँ ऐन्जल आते हैं
तुम्हें थपकियाँ देने।
सुनो...
मुझे भी अपने संसार का
हिस्सा बना लो ना !
जीना चाहता हूँ मैं ...
तुम्हारा सानिध्य !
कभी-कभी यूँ लगता है
कि तुम्हारे आस-पास घूमती ये बिल्लियाँ
कितनी खुशनसीब हैं
और कितनी सिद्ध भी ...
जो अपनी सीमाओं
और दुनिया की सोच के पार जाकर
जी रही हैं तुम्हारा साथ !
सखिया सुनो ...
वैसे तो हर दिन प्रेमोत्सव है
पर वेलेंटाइन-डे का वास्ता देकर,
कुछ मांग लूँ तुमसे ?
ये बिल्ली दे दो ना मुझे अपनी...
जब भी तुम्हारी याद आएगी
इसे छू कर,
मैं तुम्हारे अहसास से सराबोर हो जाऊँगा।
निहारा करूँगा देर तक,
फिर आँखों ही आँखों में बतियाऊंगा।
इसके साथ खेलूँगा,
जब इसको भूख लगेगी,
तो दूध-बिस्किट खिलाऊंगा।
और जब थक जाएगी,
तो थपकी देकर इसके साथ मैं भी सो जाऊँगा।
तुम्हीं ने तो सिखाया है मुझे
दुनिया से दूर
‘इमैजिनरी-वर्ल्ड’ में अपना
सुख ढूँढना !
सरला मेरी !!!
तुम्हारा
देव
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